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जानिए आँखों की लेजर सर्जरी कराने की प्रक्रिया के फायदे, नुकसान और कीमत

आज के बदलते लाइफस्टाइल के साथ हर किसी की आँखों की रोशनी पर गहरा असर पड़ता दिखाई दे रहा है। एक समय था, जब चश्मा बढ़ती उम्र के लोगों को लगता था लेकिन अब 5 साल के बच्चों को भी चश्मा लग जाता है। लेकिन घबराने की कोई बात नहीं हैं क्योंकि साइंस ने इसका भी इलाज निकाल लिया है। 18 साल की उम्र के बाद आँखों का ऑपरेशन या सर्जरी करावा सकते हैं, जिसके बाद बिना चश्मे के देख पाना संभव होगा। इस सर्जरी का नाम है लेसिक। लेसिक या फिर लेजर आई सर्जरी आंखों की रोशनी को ठीक करने की एक सामान्य लेजर आई प्रणाली है। लेजर आई सर्जरी के दौरान नेत्र सर्जन आंख की कॉर्निया में एक सिरे से दूसरे सिरे तक चीरा लगाते हैं और लटके हुए (flap) उत्तकों को ऊपर उठाते हैं एवं आंखों को फिर से नयी रोशनी देने का कार्य करते हैं।

लेजर आई सर्जरी की प्रक्रिया
लेजर आई सर्जरी की पूरी प्रक्रिया (procedure) में लगभग 20 मिनट का समय लगता है और कुल मिलाकर मरीज को सिर्फ एक से दो घंटे ही डॉक्टर के पास रहना पड़ता है। सर्जरी के बाद आंखों को सामान्य होने में लगभग 8 घंटे का समय लगता है। कभी कभी कुछ मामलों में आंखों को पूरी तरह से ठीक होने में कई महीने लग जाते हैं।
स्टेप 1 - आंखों को आई ड्रॉप से सुन्न करना- लेसिक आई सर्जरी को शुरू करते हुए व्यक्ति की आंखों को आई ड्रॉप से सुन्न किया जाता है ताकि उसे इस संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार की असुविधा न हो।
स्टेप 2 - कुछ दवाईयां देना-  आंखों को आई ड्रॉप से सुन्न करने के बाद व्यक्ति को कुछ दवाईयां दी जाती हैं ताकि उसे सर्जिकल कुर्सी तक आसानी ले जाया जा सके।
स्टेप 3 - पलकों को झपकने से रोकना-  इसके बाद सर्जन व्यक्ति की आंखों की पलकों पर लिड स्पेकुलम नामक उपकरण का उपयोग करते हैं, जो पलको को झपकने से रोकते हैं।
स्टेप 4 - कॉर्निया तक पहुंचना- सर्जन आंखों के कॉर्निया में एक पतला फ्लैप बनाते हैं, जिसे अस्थायी रूप से मोड़ा जा सके।
स्टेप 5 - कॉर्निया को नया आकार देना- कॉर्निया के बीच में मौजूद लेयर को निकालने के बाद कॉर्निया को नया आकार दिया जाता है, जिसके लिए एक्सीमर लेज़र नामक उपकरण का प्रयोग किया जाता है।

 

लेजर आई सर्जरी के फायदे

  • यह सर्जरी पूरी तरह से सुरक्षित है।
  • आँखों की रोशनी बेहतर रूप से काम करती है।
  • लेसिक लेजर आई सर्जरी के दौरान मरीज को बहुत ही कम दर्द होता है।
  • आंखों पर किसी तरह की पट्टी लगाने की जरूरत नहीं होती है।

 

लेजर आई सर्जरी कराने के नुकसान

  • लेजर सर्जरी के दौरान आंखों की कॉर्निया में जो परिवर्तन  किया जाता है उसे फिर से उसी अवस्था में नहीं लाया जा सकता है।
  • लेजर सर्जरी कराने के पहले 24 घंटों में कुछ मरीजों को अत्यधिक बेचैनी हो सकती है।
  • सर्जरी के बाद कुछ समय तक रात में वाहन चलाने में परेशानी, आंखें में रूखापन होना और एक साथ एक ही वस्तु के कई प्रतिबिंब दिखाई दे सकते हैं।

 

लेजर आई सर्जरी कराने की कीमत
जब कोई डॉक्टर किसी व्यक्ति को लेसिक लेज़र सर्जरी कराने की सलाह देते हैं, तो उसके मन में सबसे पहला सवाल उसके खर्च को लेकर ही आता है।ये भी हो सकता है कि कुछ लोगों को लेसकि लेज़र सर्जरी एक महंगी प्रक्रिया लगे और इसी कारण वे इसे न करा पाएं, लेकिन अगर उन्हें यह जानकारी हो कि यह एक किफायदी प्रक्रिया है,जो इसकी Technique पर निर्भर करती है। जितना बड़ा अस्पताल या जितना ज्यादा अनुभवी सर्जन होगा, उतनी इस सर्जरी की लागत में अंतर आ सकता है जो लाखों में भी इसकी कीमत जा सकती है।
सभी देशों में लेज़र सर्जरी की लागत भिन्न है। भारत के भिन्न शहरों में लेज़र सर्जरी की कीमत भी भिन्न है। भारत में इस सर्जरी की लागत लगभग 25 हज़ार से 45 हज़ार तक है।

 


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